प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

रविवार, 17 दिसंबर 2017

मैथिली गजल

जँ सब अपराध हमर अछि त' सजा अहाँ द' दिअ
गलत की भेल अछि तकर त' पता अहाँ द' दिअ

जँ साबित भेल दोष हम त' गुलाम बनि रहब
कने सत्यपर पड़ल पर्दा उठा अहाँ द' दिअ

चुनौती दैत छी बरी क्षणमे क' देत सब
भले आरोपपर करगर दफा अहाँ द' दिअ

प्रपंचक बलसँ ठार गप चलतै कतेक दिन
मुखौटा सत्य केर अपन बना अहाँ द' दिअ

लगै जे माँछ छी फँसै जे जालमे सदति
फँसा प्रीतक नजरिसँ आब नफा अहाँ द' दिअ

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