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रविवार, 19 नवंबर 2017

कथीपर कानी?

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कथीपर कानी ?

हम गाममे रहि खेती करैत छी आ हमर भाइ शहरमे सपरिवार रहि नोकरी करैत छथि ।एहि बेर छठिमे सपरिपार दिनकर-दिनानाथकेँ दुआरिपर हाजरी दै लेल आएल छलथि ।हमर छोटका बेटा आ हुनकर बौआ प्रिंस एकदतरिये छथि ।दुनू चौथामे पढ़ै छथि ।एक साँझ हम खेतक आरि-कोन ठीक क' आयलौं आ दलानपर बैसि कने सुस्ताइ छलौ त' दुनू भैयारीकेँ बतियाइत सुनलौं ।प्रिंस हमर बौआसँ पुछलक-"तोरा इसँकूलमे प्रेयर के बाद सर जी की सब करै छथुन ?"
हमर बौआ कहलक-"भनसियाकेँ चाउर-दालि-आलू सब दै छथिन ।"
प्रिंस आश्चर्य करैत बाजल-"से किए !...अच्छे क्लासमे सरजी नीकसँ पढ़बै छथुन ने ?"
हमर बौआ फेर जबाब देलक-"नै, हाजरिये बनबैमे आ हल्ला शांत करैमे बीजी रहै छथिन ।डेढ़ सौ विद्यार्थी छियै ने ।"
"ओह...लंच कते देरकेँ होइ छौ ?"
"दू घंटा ।छौ सौ बच्चा पाँतिमे खाइ छै ने ।"
प्रिंस आश्चर्यसँ आँखि नम्हर करैत बाजल-"बाप रे बाप, ई त' लंच नै भेलै, भोज भ' गेलै ।अच्छे तकर बाद की होइ छौ ?"
हमर बौआ खुश होइत बाजल-" तकर बाद छुट्टी होइ छै..कुट्टी काटै लए ।"
"एँ...मने खेल, ड्रॉइंग, म्यूजिक सब नै होइ छौ की ?"प्रिंस नाँक टेढ़ करैत बाजल जेना कि घृणा क' रहल होइ ।
"होइ छै ने ।भरि दिन त' क्लासमे खेलते रहै छी ।" बौआक जबाब सुनि प्रिंस कहलक-"मने तोरा इस्कुलमे पढ़ाइ छोड़ि बाँकी सब चीज होइ छौ ...हा ..हा..हा ।
प्रिंसक हँसी हमर छातीकेँ छलनी क' देलक ।हम सोचि नै पाबि रहल छलौं जे हम अपन गरीबीपर भोकारि पारि कानी वा अपन सरकारी शिक्षा व्यवस्थापर ?

अमित मिश्र

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