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शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2017

मैथिली गजल- जिनगी हमर धोखा दैते ने रहलै

जिनगी हमर धोखा दैते ने रहलै
सब दिन जहर ओ परसैते ने रहलै

कोना हम रहै छी पुछलक ने कहियो
सदिखन नोरमे डुबबैते ने रहलै

लेलौं मानि हम हारल छी तैयो ओ
बनि ओ काल बस पटकैते ने रहलै

जे किछ माँगलौं से देलक ने कहियौ
जे छल हमर से लुटबैते ने रहलै

अंतिम ई निहोरा दिअ एक्के माँफी
बाँकी दिन मनसँ कनबैते ने रहलै

2221-2222-222

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