5.15 चुप चुप चुप
नम्हर जखन बात करै त'
छोटका बौआ चुप चुप चुप
दू जन जखन चर्चा करतै
तोरासँ जँ किछ नै पुछतै
टोक देनइ नै नीके रहतै
एहन समयमे चुप चुप चुप
बीचमे बाजने मूर्ख कहेबें
झुट्ठे सब लग बुरबक बनबें
अपन सन मुँह ल' क' एबें
एहिसँ बढ़ियाँ चुप चुप चुप
बात तोहर नै लागतै नीक
तखन किछ नै हेतै ठीक
किए फँसेबें अपन टीक
सबसँ सुन्दर चुप चुप चुप
तोहर बातसँ तामस चढ़तै
मारा-मारी झगड़ा बढ़तै
झूठ-फूस ओ गलती गढ़तै
तेँ तूँ रहि जो चुप चुप चुप
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें