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सोमवार, 11 मार्च 2013

पतंग बनाबै रे

1.पतंग बनाबै रे

पन्नी कागत फाड़ै रे
सुन्नर पतंग बानबै रे
मैदासँ बाटी भरै रे
लाल आगिपर बरकाबै रे
लस-लस लेइ बनाबै रे
झारुक काठी आनै रे
सीधा आ गोल राखै रे
कागतक चिप्पी साटै रे
लम्बा कागत काटै रे
कोणपर पुँछरी बनाबै रे
बहुते धागा आनै रे
दू दिश भूर करै रे
चल गुड्डीकेँ नाथै रे
कनिये काल सुखाबै रे
दैवा पवन बहाबै रे
चल पतंग उड़ाबै रे
बाधे बाधे दौड़ै रे
अम्बरमे पतंग नाचै रे
नीच्चा हमहूँ सब गाबै रे
सब मिल पतंग बनाबै रे

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