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बुधवार, 20 मार्च 2013

चाँद तारों से उतरी है मेरी शहजादी

दिल की भोली है, तवियत की बडी है सादी
चाँद-तारों से उतरी है मेरी शहजादी

उसकी कमसिन जवानी को सम्हाले कोई
उसकी हर एक अदाओं पे मर जाये सभी
उसकी राहों में फूलों की सेज सजती है
जब वो चलती है तो घुंघरू की खनक उठती है
उसकी तारीफ करे फूले से भरी ये घाटी
चाँद तारों . . .

उसे जो देख ले जी भर के वो किस्मत वाला
उसपे जो लिख दे तो शायरी की समझ मै समझूँ
कर ले बात दो लब्ज तो हिम्मत बाला
वरना मै मुहब्बत की शिकायत समझूँ
जब भी मिलती है तो खुलती है वो आधी-आधी
चाँद तारों . . .

अपनी पलकों मेँ छुपा लुँगा उसको यारों
दिल की धड़कन मे बसा लुँगा उसको यारों
उम्र भर साथ निभाऊँगा है मेरा वादा
वो अगर कह दे तो दुनियाँ को हिला दूँ यारों
उसकी रूह मे बस जाऊँगा बन फरियादी
चाँद तारों . . .

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