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रविवार, 17 मार्च 2013

दोषी के?


दोषी के?

जेठक दुपहरियामे
घरसँ बाहरक काज करेबाक लेल
कोनो नेनाकेँ दै छी चाँकलेट वा टाकाक घूस
अपन काज सफल करेबाक लेल
भगवानोकेँ दै छी प्रसादक घूस
अपने कनियाँकेँ मुँह देखबाक लेल
मुँहदेखाइ नाउसँ दै छी घूस
अपन बेटीक जिनगीमे सुख भरबाक लेल
हुनक बाप दै छथि दहेज रूपी घूस
वोट बैलेंस बटेबाक लेल
नेतो जी दै छथि
दारू ,कपड़ा वा टाकाक घूस
मोटामोटी ई दुनियेँ चलै छै घूसपर
तखन ककरा पठाओल जाए जहलमे?
के छथि असली दोषी?
ई बात सत्त छै जे
खतम नै होइ छै मनुखक भूख
चाहे अन्नक हो वा टाकाक
जतेक देबै ततेक खेतै
तेँ घूस लै बाला दोषी नै छथि
हमरा नजरिमे वएह दोषी छथि
जे दै छथि ,अपन काज करेबाक लेल घूस ।
तँ की घूस लै बालाकेँ किछु नै कहब
वा मंचपर फूल-माला पहिरा पुरस्कृत करब
नै नै ,एहन नै करब
मानलौं भूख लगनाइ मनुखक वशमे नै छै
आ भोजनकेँ अपमानो करब नीक कर्म नै छै

मुदा एतबे भोजनपर अधिकार छै
जते भूख आ जरूरति छै ओकर देहक
आ जँ बेसी अन्न अपने खा
दोसरकेँ भूखल राखै छथि
तँ ओ भुक्खर मनुखो दोषी छथि
तेँ हमरा नजरिमे घूस लैयो बला दोषी छथि
जतबे सजा दै बलाकेँ भेटत
ओतबे सजा लैयो बलाकेँ भेटबाक चाही

अमित मिश्र

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