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रविवार, 17 मार्च 2013

फूसि बाजै छी


"फूसि बाजै छी"

हम फूसि बाजै छी
सदिखन फूसिये बाजै छी
मुदा तखन
जखन ककरो करेज
कोनो वेदनामे धुआँ फेकैत होइ
आ हमरा पता होइ ,जे
हमर कोनो गपसँ
दर्दक पाथर पघिल कऽ
सुखक फूल बनि जाएत
तखन हम फूसि बाजै छी
जखन हमर कनपट्टीपर
यमराजक(चोर-डकैत) बंदूक रहैत अछि
तखन हम फूसि बाजै छी
हम जानैत छी ,समयक कोनो ठेकान नै
नीक-खराप कोनो घटना कखनो घटि सकै यै
तखनो काल्हि भेँट करबाक सप्पत खाइ छी
सत्तमे तखन सदयह फूसि बाजै छी
जखन जीवन-मरणकेँ सवाल होइ
वा ककरो पेटपर पड़ल होइ
तखन हम फूसि नहियोँ बजै छी
कोनो जनसमुदाय बीच
अपन स्वार्थ पूर्तिलेल फूसि नै बाजै छी
मंचासिन देशक कर्ता-धर्ता बनल
कोनो बाबा वा नेता जकाँ ।

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