प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

शुक्रवार, 15 मार्च 2013

किछु शेर

1.सगरो तँ ढेहे उठल छै हत्याक यौ
खुट्टा बनल छी डटल दहि नै सकब हम

2.चन्दनसँ लपटल रहत साँपक भीड़ बड
गमकल पवन सन सदति बहि नै सकब हम

3. सब मनोरथ जरल पूरल नै मोर सऽख
बैंकमे बस घसल अठन्नी छै मोर सऽख

4.नीनक संग कतऽ पड़ेलें हमर सपना
चानक घोघ बनि लजेलें हमर सपना

5. झाँपि मुँह नैनक वाण ओ चला रहल छथि
मीठ दर्दक संगे रुधिर बहा रहल छथि

6. पाछूएसँ मुदा चलबै छाती तानि
निर्धन छी बड ,माँनू नै छी डरपोक

7. के कहलक जे आइसँ हम मरि गेलहुँ
फेरो आयब ,एखन हम सूतल छी

8. दारू जखन चढ़लै तँ होश उड़ि गेलै

मरु बनल जिनगी कोसक कोस उड़ि गेलै

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें