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बुधवार, 20 मार्च 2013

बुढ़ी काकी

ई अन्हार कोठरी मे रहै छथि बुढ़ी काकी .
एकदम शांत जेना पत्थर के मुरत .
धिरे-धिरे चरखा पर आंगुर चलाबैत बुढ़ी काकी .
हवेली जे बगल मे खड़ा छै .
ओकर महरानी छलथिन बुढ़ी काकी .
सजै छल फुलक सेज .
लागै छलै मजदुरक भीड़ ,
सहारा दैत छली सबके बुढ़ी काकी ,
पर हाय; राम के ई सब नइ मंजुर छलै ,
नइ त' ठाकुर साहेब मरितैथ {मरते} किएक ,
लक्ष्मी विधवा हेतैथ किएक ,
आब एलै जुआनक राज ,
नवका जमाना के पुतौह के नीक नइ लागलै बुढ़ी काकी ,
आखीर मातृत्व हारल आ कलयुग जीतल ,
घर सँ निकालि देल गेलए बुढ़ी काकी .
जीवन भैर सहारा दै वाली खुद बेसहारा भ' गेलै .
हुनक ई हालत के जिम्मेदार के छै .
ह'म अहाँ वा खुद बुढ़ी काकी . . . . . . . . .

अमित मिश्र

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