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शुक्रवार, 17 मई 2013

बाल कविता- दुलरुआ बौआ

बाल कविता-58
दुलरुआ बौआ

बड़की भौजी मँझली भौजी
दूध पिआउ दूध पिआउ
नैहरसँ मुंगबा खाजा आएल
बाहर लाउ जल्दी खुआउ
पौती भरल गुड्डा-गुड़िया
सबटा लाउ संग खेलाउ
चोकलेट बिनु सत्ते रूसब
कोरा उठा हमरा मनाउ
हम अक्षरकट्टू अहाँ पढ़ल
पहारा सिखाउ वर्णमाला पढ़ाउ
एसगर आँगन डर लागै यै
लऽग बैसा खिस्सा सुनाउ
नौआँ-कौआँ दुलरुआ बौआ
कपड़ा लाउ दुलार जताउ

अमित मिश्र

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