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गुरुवार, 27 जून 2013

जंगलक राजा

बाल कविता-80
जंगलक राजा

आबि गेल छी हम सुनै जो, बजबें बैण्ड बाजा
शेर गरजि कऽ बाजल सुनि ले हम छी जंगलक राजा
हमर कहल मानै जाइ जो हे जनता जनार्दन
अन्ट -सन्ट जे किओ बाजबें हेतौ तकर मर्दन
ज्ञानी, चतुर आ बलगर, सभक रक्षक राजा छी
सब जनताक हम प्रियगर, बूझें अनमन खाजा छी
तखने बाजल एकटा मूसा, जुनि कर फूसि बड़ाइ
तोरासँ बेसी छै बलगर हाथी, गेण्डा, दरियाई
जनताक तूँ करै छें भक्षण तेँ डरे नाम जपै छौ
निज प्राणक रक्षार्थ हेतु, राजा राजा चिकरै छौ
मारै बला नै राजा होइ छै, होइ छै असली दुश्मन
असली राजा वएह होइ छै, जे बचबै छै जीवन
जँ चाहै छें अपन पदवी आ बजबाबऽ बाजा
हत्या एखने छोड़ तँ बनबें जंगलक असली राजा

अमित मिश्र

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