बाल कविता-98
नव नेना आब तानू छाती
जय जय भारत मातृभूमि केर नारा करी बुलंद
सदिखन शोणित गरमे रहै धाह होइ नै मंद
हाथ तिरंगा लऽ कऽ चलबै गाम, हाट, बजार
नभमे मेघ खण्ड-खण्ड होइ एते करी जयकार
तीन रंग तँ तीन ज्ञान दै जीवनक मूल आधार
शक्ति, समृद्धि, सादगी छै तिरंगाक रीत बेबहार
हमर मंगल, हमर भगत, मरलै कते माएक बेटा
राखी टूटल, चूड़ी टूटल, कानै छल भाग विधाता
एतबे बोध राखू अहाँ जे व्यर्थ नै जाइ बलिदान
आब परतंत्र देश, होइ नै टुकड़ी हिन्दुस्तान
नव नेना आब तानू छाती जगबू सूतल समाज
कफन बनय पावन तिरंगा करू किछु एहन काज
अमित मिश्र
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