141. नेतागीरी
-यौ नेता जी, अहाँ अपनो लोक संग विश्वासघात करै छी !
-की भेल अहाँकेँ ?
-सब दिन अहाँक आगू-पाछू हम केलौं आ मंत्रीक कुर्सी ओ नवका छौंड़ाकेँ दऽ देलियै ।
-आहि रे बा ! नेता भऽ कऽ नेतागीरी नै सिखलौं !हौ जी ओ युवा अछि ।ओकरा हाथमे भोटक भंडार छै तें ओकरा मंत्री बना देलियै ।
-मुदा...नेता जी, हम तँ अहाँ लेल कतेको ठाम मारि-दंगा करा कऽ, मशीन बदलि कऽ भोट छिनलौं, तकर कोनो मोल नै ?
-नै यौ, तकर बड मोल छै ।देखू राजनीति सदिखन अपन फायदा देखैत अछि ।ओकरा मंत्री बनेने फायदा अछि, मुदा अहाँ निचैन रहू ।किछु दिन बाद अपन बला कोनो घोटाला ओकरा माँथपर थोपि कऽ ओकरा हटा देबै आ तखन अहाँ मंत्री बनि जाएब ।हें...हें...ई भेलै नेतागीरी...हें...हें...हें...
-हें...हें...हें......।
अमित मिश्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें