143. वाह! वाह!
जादोपुर ।बड पिछड़ल गाम छल ।महिलाक बाजब सुननाइ कठिन छल ।महिला घरेमे रहैत छली ।शिक्षाक गाड़ी एखनो ओतऽ धरि नीक जकाँ नै पहुँचल छल ।सर्व शिक्षा अभियान किछु काज केलक, फलस्वरूप शिक्षामे सुधार भऽ रहल छल ।आठ वर्ष बाद गामक चौकपर बैसल छलौं ।भोरका समय छल ।नेना सब इस्कूल जा रहल छल ।एकटा तेरह-चौदह वर्षिय लड़की पीठपर बैग लादने साइकिल हाँकैत जा रहल छल ।तखने चारि टा छौड़ा ओकरा दुनू कातसँ घेर लेलकै आ अपनामे हँसी-मजाख करऽ लागलै ।लड़की तामसे लाल भऽ गेलै ।ओ बाजल" रौ बज्जर खसुआ ।बगलसँ नै जाएल जा होइ छौ ?एक्कै थापरमे होश आबि जेतौ ।" एते कही दुनू दिस पएर मारलक ।चारू छौड़ा साइकिल लेने खसि पड़ल ।महिलाकेँ सशक्त बनैत आ लड़कीक साहस देख हमरा मुँहसँ निकलि गेल" वाह ! वाह !"
अमित मिश्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें