बम विस्फोट
रसे रसे खदकि रहल अछि
सब ठाम पाकि रहल अछि
देख लिअ, मंद वेगसँ
सीझ रहल अछि
आहत भेल भावना
धरतीक सब कोनसँ
उठि रहल अछि धधरा
आ करेजक बीचमे
भरल जा रहल अछि
असली बारूदक बोरा
बनि रहल अछि
अरबो मानव बम
एहि स्थितिक जन्मदाता
ध्वस्त करऽ चहैत छथि
रोकि देबऽ चाहैत छथि
मानवक बढ़ैत डेगकेँ
मुदा ओकरा बूझल नै छै
चोट खाएल साँप
बेसी खतरनाक होइ छै
आब ओ दिन दूर नै
जखन अरबो जनताक
करेजमे प्लान्ट कएल बम
शोषणक आगिमे पजरि उठत
आ ओ भयंकर विस्फोट
परमाणुओक विस्फोटकेँ
मिझरा लेत अपन बाँहिमे
अमित मिश्र
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