दिल और दिमाग
जब मैं कवि होता हूँ तो
मेरी कविताओं में
वास्तविक प्रेम नहीं होता है
क्योंकि मै दिमाग से सोचता हूँ
जब मैं प्रेमी होता हूँ तो
मेरी कविताओं में
भाव नही रहता है
क्योंकि मैं दिल की सुनता हूँ
दिल और दिमाग
एक हो हीं सकते
एक सच्चाई देखेगा, ओर
एक कल्पना करेगा
अमित मिश्र
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