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बुधवार, 11 दिसंबर 2013

सेनूर छै अनमोल (भाग-3)

सेनूर छै अनमोल (भाग-3)

भिखमंगा- अच्छे...अच्छे ठीक छै ।हम सब टा कथा कहैत छी ।चलू पहिने कतौ बैसै छी ।(दुनू गोटे घासपर बैस रहै छथि )असलमे हम कमाइ-खटाइ बला आदमी रही ।एकटा कम्पनीक गेटकीपर रही ।छअ हजार दरमाहा छल, मुदा जँ बाजी सुतरि जाइ तँ दसो-बारह हजार धरि कमा लैत रही ।बड नीक जकाँ धूम-धाम नीक घरमे वियाह भेल छल ।जकरा सेनुरा कऽ आनलियै सेहो बड मान आदर करैत छल ।हमहूँ ओकरासँ बड प्रेम करैत छी ।बड नीक जकाँ हँसी-खुशीसँ जिनगीक गाड़ी चलैत छल, मुदा...(चुप भऽ जाइत अछि ।)
राधा- मुदा की ?चुप किए भऽ गेलौं ?मुदा की भेल से तँ कहू ।
भिखमंगा- कहैत छलौं ने दाइ, भगवान बड पैघ दुश्मन होइत छथि ।ककरो तरक्कीसँ हुनका तीव्र जलन होइत छन्हि ।ककरो हँसी हुनका नै नीक लगैत छन्हि ।सदिखन कनबैक फिराकमे रहैत छथि ।दाइ, हमर हँसैत परिवार क्षण भरिमे विलापक सागरमे डूबि गेल ।(करुण होइत ।)हमर प्राणसँ बेसी प्रियगर कनियाँकेँ ब्रेन ट्युमर आ केंसर दुनू एक्कै संग भऽ गेलै ।बिना कोनो चेनावनी देने हमरापर हिमालय पहाड़ खसि पड़लै दाइ ।अस्पतालक चक्कर काटैत-काटैत पएरक चप्पल घसि गेल...नोकरी छूटि गेल...जमा कएल पाइ-कौड़ी खतम भऽ गेल, मुदा ओकरा ठीक नै होइक छलै, नहिये भेलै ।डाक्टर साफ मना कऽ देलकै ।उहो भगवानेक गोहारि करैक लेल कहलकै ।अहीं कहू दाइ, भगवान हमर अरजी सूनि हमरापर दया किए करथिन ।जँ भगवानकेँ दया करैयेक छलै तँ एहन संकट देबे किए केलखिन ।
राधा- सतमे बड पैघ विपति खसल अहाँपर ।धीरज राखू ।सब ठीक भऽ जेतै ।दिन बदलैत बेसी देर नै लागैत छै ।नीक दिन एबै करतै ।एकटा बात बताउ, अहाँक कनियाँ मरि गेली वा जीबिते छथि ?
भिखमंगा- जँ ओ मरि जैतै तँ कि हम जीबैत रहितियै !ओकरे संग हमहूँ मरि गेल रहितियै ।प्राण बिना देह कोना ठाढ़ रहि सकैत अछि !
राधा- मने ओ एखन धरि जीबिते छथि ।तखन ओ कतऽ छथि एखन ?
भिखमंगा- एखन सरकारी अस्पतालमे भर्ती भेल छै ।ओकरे इलाज लेल हम भरि-भरि दिन भीख माँगैत छी ।अपने भूखल रहि ओकर दवाइक जोगार करैत छी ।ओना ओ मना करैत छथि ।हमरा भीख माँगैत देख कऽ ओ जहर माँगै छथि ।कहैत छथि हमरा मरऽ दिअ... अहाँ दोसर वियाह कऽ लिअ ।(कानऽ लागैत अछि ।)अहीं कहू दाइ एहन कतौ भेलैए...लक्ष्मीये नै रहती तँ नारायण रहि कऽ की झालि बजेथिन ।आत्मा बिना शरीर महत्वे की रहतै ?
राधा- चुप भऽ जाउ, चुप भऽ जाउ ।जुनि कानू ।(नम्हर साँस छोड़ैत ।)ओना एकरा दोसर एंगलसँ सोचबै तँ हुनको कथन कोनो गलत नै छै (कने रूकि कऽ)आब हुनक आश छोड़ि दोसर वियाह केनाइये अहाँक हितमे अछि ।(समझाबैत) ओनाहितो आब हुनकासँ कोनो तरहक सुख भेटै बला अछि नै ।आब जते दिन ओ जीबित रहिथिन तते दिन सरकार भोजन देबे करतेन ।सरकारी अस्पतालमे छथि तेँ थोड़-बहुत दवाइ-दारू भेटिये जेतनि ।हुनका लेल बेकारे भीख माँगने फिरैत छी ।कमाउ-खटाउ, दोसर वियाह करू आ नव कनियाँ संग ऐस-मौजसँ जीवन बिताउ ।एहन तँ सब दिनसँ भऽ एलैए ।सब दिनसँ पुरान घर खसै छै आ नव घर उठै छै ।
भिखमंगा- एहन अनर्थ तँ हम सपनोमे नै सोचि सकैत छी ।ओ हमर कनियाँ छथि...हमर प्रिया छथि...हमर अर्द्धांगनी छथि...आधा अंगक तियाग कऽ कहू तँ के जीब सकैए ।प्राण छोड़ि कऽ ककरो जिनगी कोना कटि सकैए ?
राधा- ई सब मात्र खिस्सा-कहानी, फिल्ममे होइ छै ।आजुक जमानामे इमोशनक कोनो जगह नै छै ।लोक अपन स्वार्थ ताकै छै ।लोक आब अपना लेल जीबै छै ।एहन प्रेम मात्र थ्योरी छै जकर प्रैक्टिकल सम्भव नै छै ।

क्रमश:

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