5.19 सपना हमर
सपना हमर एक
दुनियाँ सुधारि दी
हरियर गाछ-बिरिछ
सगरो पसारि दी
सपना हमर एक
घोसला हजार होइ
ठाढ़ि-ठाढ़ि लागल
ओकरे बजार होइ
सपना हमर एक
भूखल ने लोक होइ
हँसै आ हँसबैपर
कोनो ने रोक होइ
सपना हमर एक
कियो ने लचार होइ
दुख केर चेन्ह नै
सुखमय संसार होइ
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