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शुक्रवार, 13 दिसंबर 2013

सेनूर छै अनमोल (भाग-4)

सेनूर छै अनमोल(भाग-4)

भिखमंगा- बिना प्रेक्टिकल केने कोनो थ्योरी नै लिखाइ छै दाइ ।जँ प्रेम नै रहितै तँ आइ अहाँ हाथमे गुलाब लेने अपन प्रेमीक प्रतीक्षामे एतऽ ठाढ़ नै रहितियै ।
राधा- अहाँक कहब ठीक अछि, मुदा अहाँ एहन प्रेम तँ हमरा नै अछि ।हमर प्रेममे अहाँ सन तियाग नै छै ।हम दुनू तँ मात्र अपन स्वार्थक लेल प्रेम कऽ रहल छी ।श्याम पाइ बला अछि, हष्ट-पुष्ट तन्दुरुस्त अछि तेँ हम प्रेम कऽ रहल छी आ हम सुन्दर छी तेँ श्याम प्रेम कऽ रहल अछि ।दुनू दिससँ स्वार्थ, स्वार्थ, स्वार्थ केवल स्वार्थ अछि ।दूर-दूर धरि तियागक कोनो चेन्ह नै देखाइत अछि ।
भिखमंगा- मने जँ अहाँक प्रेमी निर्धन रहितय तँ अहाँ प्रेम नै करितियै ?
राधा- बिल्कुल नै करितियै ।
भिखमंगा- भगवान नै करय काल्हि दिन अहाँक प्रेमी गरीब वा बिमारियाह बनि जेताह तखन अहाँ हुनका छोड़ि देबै ? कोनो अमीर आ शारीरिक बलगर पुरुखसँ वियाह कऽ लेबै ?
राधा- जरूर कऽ लेबै ।हमरा मोनमे ओकरा लेल कनिको टीस नै उठतै ।हम तँ पहिनहिये कहलौं, ई कलयुग नै, टाका युग छै ।सब किछु टाका छै । टाका छै तँ प्रेम छै ।टाका छै तँ संगी छै ।टाका छै तँ जिनगी सुन्नर बगैचा सन छै, नै तँ गेनहाइत खण्डहर, मरूथल सन बनि जाइ छै जीवन ।
भिखमंगा- ई सब बात मात्र कहबाक लेल छै दाइ ।एक चुटकी सेनूरक मोल अहाँ नै जानैत छी तेँ एहन बात बाजै छी ।
राधा- (हँसैत) हा...हा...हा हमरा किए नै बुझल रहतै एक चुटकी सेनूरक मोल !पाँच-दस टाकामे एक डिब्बा भेंट जाइ छै । अहाँकेँ एक्कै चुटकी अनमोल लगैत अछि...हा...हा...हा...
भिखमंगा- ई कोनो चुटकुला नै अछि जे अहाँ हँसि देलियै ।दू टा आत्माक बीच पूलक काज करै छै एक चुटकी सेनूर ।दू टा मोनक विश्वास छियै एक चुटकी सेनूर ।अहाँ की बुझबै एकर मोल !हाय रे हाय, एते घटीया सोच भरल अछि अहाँक दिमागमे !आश्चर्य घोर आश्चर्य भऽ रहल अछि हमरा ।आब तँ अहाँसँ बात करब बेकार लागैत अछि, मुदा एते जरूर कहब, ओ दिन दूर नै जखन अहाँकेँ एक चुटकी सेनूरक मोल बुझाएत ।
( फैशनेबुल कपड़ा पहिरने, हाथमे उपहारक पैकेट लेने श्यामक प्रवेश होइत अछि ।श्यामकेँ देख राधा श्याम लऽग चलि जाइत अछि ।)
राधा- हमर बात नीक नै लगैत अछि तँ रुकल किए छी ! जाउ...जाउ... रोकने के अछि अहाँकेँ ।आब अहाँ संग समय व्यर्थ करबाक जरूरति नै अछि ।एते देर बतियेलौं ताहि लेल धन्यवाद । (श्याम दिस घुरैत ) श्याम, भिखमंगाकेँ किछु टाका दऽ दियौ । बड देरसँ दिमाग खेलक अछि, जल्दीसँ किछु टाका दऽ कऽ भगाउ एकरा ।
(श्याम पर्शसँ एक टा नमरी निकालि कऽ दैत अछि ।भिखमंगा पाइ लऽ लैत अछि ।)
भिखमंगा- जुग, जुग जीबू ।भगवान भरल-पुरल राखथि, नीक बुधि दैथ ।(गाबैत जाए लागैत अछि )
कोनो डागडरक सुइया ने काज करय
लागै जँ एहन बोखार यौ मीता
भऽ जाइ छै जकरा प्यार यौ मीता
भऽ जाइ छै जकरा प्यार. . . . . . . . . .
(राधा आ श्याम एक दोसरसँ गला मिलैत अछि ।)
राधा- हैप्पी वेलेन्टाइन डे, डियर ।(अपन जुट्टीसँ गुलाब नीकालैत अछि आ श्यामकेँ दैत अछि ।श्याम फेरसँ राधाक जुट्टीमे खोंसि दैत अछि ।)
श्याम- अहूँकेँ (धीरे धीरे दुनू हाथ फैलाबैत) एते...एते...एते... बडका टा हैप्पी वेलेन्टाइन डे ।
राधा- चलू अहाँक नम्हर टा मुबारकवाद स्वीकार कएलहुँ ।(रूसैत) अहाँ बड निर्दयी छी ।अहाँसँ हम कट्टी करैत छी ।आब अहाँसँ बात नै करब ।
श्याम -बात नै करब !हमरासँ कोन गलती भेलै जे अहाँ बात नै करब ।
राधा- गलती... गलती तँ बड बड पैघ भेल अछि अहाँसँ ।
श्याम- कने हमहूँ तँ बुझियै जे हमरासँ केहन गलती भेलै जे हमर प्राण हमरासँ रूसि गेल छै ।(राधाक हाथ पकड़ि लैत अछि ।)

क्रमश:

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