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गुरुवार, 26 दिसंबर 2013

सेनूर छै अनमोल (भाग-11)

सेनूर छै अनमोल (भाग-11)

(राजाक प्रवेश होइत अछि ।)
मुरली- (राधासँ) जाउ, कने चाह बनाउ ।चौकोपर नै पीब सकलियै ।
(राधा चलि जाइत अछि ।राजा कुर्सीपर बैस रहैत अछि ।)
मुरली- मीता, हम बड पैघ संकटमट फँसि गेल छी ।दूध, माँछ दुनू बाँतर बला पढ़ि भऽ गेल अछि ।
राजा- कोहन संकट ?
मुरली- एकाएक 10-12 लाख टाकाक आवश्यकता पड़ि गेल अछि ।कत्तौसँ जोगार कर ।
राजा- एते पाइ लऽ कऽ की करबहीं ?
मुरली- हमर सासु होस्पिटलाइज छै ।एतबे नै, जँ आइ टाकाक वेवस्था नै करबै तँ काल्हि राधा जहर खा लेतै ।
राजा- मुदा आइ-काल्हि तँ बैंको बंद छै ।एते बेसी रकम किओ देबो नै करतै ।(कने सोचैत ।) हँ एकटा रश्ता छै ।
मुरली- कोन ?
राजा- रश्ता तँ कने खतरनाक छै, मुदा टाका भेंटबाक हण्ड्रेड परशेन्ट गाइरेन्टी छै ।
मुरली- हम सब खतरा उठबै लेल तैयार छी ।हमरा केवल टाका चाही ।बस ।केनाहुँतो राधाकेँ जहर खाइसँ बचबैक छै ।
राजा- चल ।भेंट-घाँट कऽ टाका दिया दै छियौ ।
(दुनू उठि कऽ जाइत अछि ।पर्दा खसैत अछि ।)

***पट परिवर्तन***तेसर पट***

(मुरलीक घर ।राधा बैगमे कपड़ा राखि रहल अछि ।कपड़ा राखि चेन लगबैत अछि ।)
राधा- धन्यवाद भगवान ।छअए-सात महिनामे मुक्ति दिया देलौं ।बस किछुए घण्टा बचल अछि तकर बात एहि जेलसँ अजादी...नव दुनियाँसँ मिलन...(नम्हर साँस छोड़ैत ।) आह, जल्दीसँ रुपैया हाथमे आबि जाइ, बस ।
(हाथमे एटैची लेने मुरलीक प्रवेश होइत अछि ।)
मुरली- सब तैयारी भऽ गेल ने ?
राधा- हँ, सबटा चीज-बीत सैंता गेल ।हमरा जानैत तँ किछु नै छुटल, खाली टाका...
मुरली- चारि दिनसँ एकरे वेवस्थामे लागल छी ।(एटैत दैत) हे लिअ, पूरा-पूरी दस लाख अछि ।
राधा- (एटैची लैत ) एते पैघ एमाउण्ट कतऽसँ जोगार केलियै ?
मुरली- आब के देलकै, कतऽसँ एलै, एकर फेरमे अहाँ किए पड़ैत छी ? अहाँ आम खाउ, गाछ किए गानऽ लागै छी ।
राधा- तैयो बुझनाइ जरूरी छै ने ?
मुरली- जतऽ कतौसँ एलै, बड मोसकिलसँ एलैए ।अहाँ एतबे बुझू, हमरा लेल ई टाका बड महग पड़ल अछि ।बड किमती चीज बेचऽ पड़ल अछि एहि टाका लेल ।
राधा- किछु बेचैलए के कहने छलय ?उधारी कतौसँ वेवस्था करितौं ।बेचल वस्तु फेर भेटत की नै से के जानलकैए ?की बेचलियै ?
मुरली- फेर वएह बात ।अहाँकेँ टाका चाही छल, से भेट गेल ।आब बेसी जाँच-पड़ताल जुनि करू ।
राधा- ठीक छै...ठीक छै ।बेसी तमसाउ नै ।हम कथी लए जाँच-पड़ताल करब ।जे हमरा चाही छल से भेटिए गेल ।भगवान चाहथिन तँ बेचलाहा चीज फेर किना जेतै ।
मुरली- भगवान करथि जे अहाँक बात सत भऽ जाए ।अहाँ कहने रहियै जे अहाँकेँ लऽ जाइ लेल किओ एताह ।कखन धरि एताह ?हमरा कतौ जाइक छै ।सवेरे आबितथि तँ भेट कऽ लितियै ।
राधा- आबति हेतै ।दू घण्टा पहिने घरसँ चलि देने छलै ।(कने रुकैत ।) चाह पीबै की ?
मुरली- नै ।एखन चाह छोरू ।कने पानि पिया दिअ ।घबराहटसँ कण्ठ सूखि गेल अछि ।
(राधा जगसँ पानि ढारि पिबैत अछि ।)
राधा- कोन कारणसँ घबराहट भऽ रहल अछि ?
मुरली- कारण एकटा रहय तखन ने कहब ।मारिते रास कारण अछि ।पहिल कारण तँ अहाँ जानिते हएब ?
राधा- की ?
मुरली- आब अहाँ बिन हम कोना रहबै ?हमरा अहाँ सिनेह दिअ वा नै दिअ, हम तँ अहाँसँ बड सिनेह करैत छी ।प्रेम तँ हम कऽ लैत छी, मुदा पाइ... पाइये बेर पिछड़ि जाइ छी ।भगवानो बड पैघ खेलाड़ी छथि ।हमरा मोनमे प्रेमक सागर तँ दऽ देलखिन, मुदा टाकाक खत्तो-खुत्ती नै देलखिन ।
राधा- की करबै ?दुनियाँमे सब अमीरे तँ नै भऽ जाइ छै ।जखन हाथक पाँचो अंगुरी बराबर नै होइ छै तँ एक समाजक सब लोक कोना बराबर हेतै !ओनाहितो एक-दोसराक मुल्यांकनक लेल विविधता तँ जरूरिये छैक ।

क्रमश:

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