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सोमवार, 12 मई 2014

सुनू विनती भगवान

121. सुनू विनती भगवान

सुनू-सुनू विनती भगवान
दिअ बस एतबे वरदान
जन-जनकेँ भेटय ज्ञान
पशु पक्षी धरि नै अज्ञान
मुर्गा बाँचय वेद-पुराण
सुग्गा नित दिन पढ़य कुरान
देवालय बनय बथान
दिअ बस एतबे वरदान

स्वर्गक धरती हिन्दुस्तान
एकरा लेल दऽ दी बलिदान
दुश्मनक लऽ ली जान
दिअ शक्ति एते भगवान
पैघक करी हम सम्मान
ककरो नै करी अपमान
प्रभु करी अहाँक गुणगान
चमकय सदिखन मोर खानदान

अंतिम कऽ दिअ ओरियान
कम पढ़लापर बेसी ज्ञान
किओ रोकय नै जा खरिहान
खेला खेली नव-पुरान
बनी भरि दुनियाँक चान
दिअ बस एतबे वरदान

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