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रविवार, 19 अक्तूबर 2014

दिवाली मनाबी संगे

गजल-2.42
आउ हम अहाँ एक ठाँ दिवाली मनाबी संगे
दू हिया दिया एक टा सिनेहक तँ बारी संगे

राति अछि अमावस मुदा अहाँ लग सदा पुनिमे छै
चान बनि अहाँ आ चकोर बनि हम निहारी संगे

धधकि रहल जे प्रेममे तकर हाल सब जानै छी
आबि बाँहिमे ई विरहक जड़िकेँ उखारी संगे

किछु नया करब जखन लोक सब कहत केवल पागल
काज सभक छल नीक चलि कऽ बताबी संगे

लोभ मोह छै काम पाप छै क्रोध तैपर सब ठाँ
सब कुरीतकेँ एक बेर हुक्का जराबी संगे

2121-2212-1221-2222

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