बाल कविता-141
ककर लै छै नाॅउ
अपन घरक चारपर
राखल पुरना कारपर
बाजय कौआ काॅव काॅव
बाजू ककर लै छै नाॅउ
उलटल-पुलटल लारपर
वा बैसल इनारपर
बाजय कुकुर झाॅउ-झाॅउ
बाजू ककर लै छै नाॅउ
बैसल बिलरी तारपर
टक लगौने माॅरपर
खूब करै छै म्याॅउ-म्याॅउ
सब लै छै हमर नाॅउ
अपन सुन्दर मीतक नाॅउ
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