प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

रविवार, 14 दिसंबर 2014

कथा- सपना व्यस्त छथि



कथा -सपना व्यस्त छथि

सपना पिछला चारि दिनसँ बड बेसी व्यस्त छथि ।एक तँ पछिया तेज गतिसँ दौड़ल जा रहल छै आ दोसर काजक दबाब बढ़ि गेल छै ।दुनूसँ लड़ैत-लड़ैत सपनाक मुँह सुखाएल जा रहल छै ।ठोर सेहो सूखि गेल छै आ सुख्खल ठोरपर पपड़ी सन जमि गेल छै ।एक-आध ठाम ठोर फाटि गेलैए आ खून सेहो बहि रहल छलै ।बजलापर ठोरमे दर्द जरूर होइत हेतै, मुदा एकर चिन्ता ककरा छै !आजुक दिने एहन छै जे सपनाकेँ व्यस्त भेने बिना काज नै चलतै । काज कोनो कम छै !घरकेँ धोइक छै, आँगन-दलान निपैक छै, भानस-भात करैक छै, टोल-पड़ोसमे हकारो दैक छै ।एतबे नै, हलुआइ आबि गेल छै, ओकरो लऽग सब समान पहुँचेबाक छै ।सुरुज भगवान माँथपर चढ़ि रहल छथि, मुदा टेन्ट बला नै एलै।ओकरो समाद देबऽ पड़तै ।छतपर नेना-भुटका सब चढ़ि कऽ हुड़दंग मचेने छै ओकरो जा कऽ दबारऽ पड़तै ।कहीं खसि-तसि पड़तै तँ सब रंगमे भंग भऽ जेतै ।उपरसँ माँथपर कलंक चढ़ि जेतै, से अलगे ।घरमे मारिते रास काज पड़ल छै एहने-एहने पैघ-छोट काजमे भोरसँ साँझ धरि सपना व्यस्त छथि ।

घरक सबटा काज सपनेक माँथपर छै ।करैयो बला तँ दोसर किओ नै छै ।सब घरमे एसगरूआक इएह हाल होइ छै ।घरमे दू-चारि टहल-टिकोरा करै बला समांगकेँ रहने सबटा काज सभक हिस्सामे बँटि जाइ छै ।ककरो माँथपर काजक पैघ बोझ नै बुझना जाइत छै ।जहिना एक टाँगपर बेसी देर धरि किओ ठाढ़ नै रहि सकै छथि किछु कालक बाद या तँ दोसरो पएर रोपि दै छथि वा खसि पड़ै छथि ।ठीक तहिना एसगरूआ
आदमीकेँ घरक सबटा काजकेँ नियमपूर्वक करैक क्रममे या तँ नियम टूटि जाइ छै वा काज छूटि जाइ छै ।नै तँ ककरो दोसरक सहारा लेबैये टा पड़ै छै ।एसगर दुनियाँ भरिक काज केनाइयो सम्भव नै छै, मुदा सपनाकेँ करैये पड़तै ।एतऽ दूध-माँछ दुनू बाँतर भऽ गेल छै ।एक्को टा काज छोड़ै बला नै छै आ घरमे किओ और छैहो नै जकरा काज अढ़ाएल जाए ।क्रमिक रूपसँ सबटा काज कएल जा रहल छै
।आँगन-दलान चकाचक भऽ गेलै, पिठार पिसा गेलै, कोहबर पड़ा गेलै, उखरि-समाँठ
धुआ गेलै, जतरा लेल माँछो आबि गेलै ।एखन गुनामुना पकबैमे सपना व्यस्त छथि


चौबिस साल धरि सपनाक जीवन एसगरे बीतल अछि ।एहि बीचमे कतेको बेर बसंत एलै ।कतेको बेर गाम-घरमे फगुआ एलै ।हुड़दंग मचेलकै, नाँचलै आ सबकेँ नचेलकै, मुदा सपना लेल धन्नसन ।ओना तँ ई सब मोसम सभक लेल आनंदक डबल पैकेज लऽ कऽ आबै छै ।कहल जाइ छै जे एहि मोसममे बुढ़बोमे जुआनी हिलकोर मारऽ लागैत अछि, मुदा सपना सदिखन एहन मोसमसँ दूरी बनेने रहल छथि ।फागुन हो वा बसंत, एसगर दुनू निरस लागैछै, मुदा एहि फगुआमे एसगर कटैत जिनगीक चक्का जाम भऽ जेतै ।आइ धरि जे भेलै से भेलै, काल्हिसँ सपनाक घर भरि जेतै ।काल्हिसँ होइ बला
बदलावक अनुभव कऽ अगिला योजना बनबैमे सपना व्यस्त छथि ।

बड शुभ दिन छै आइ ।आठ मास पहिने सपना अपन गुरूसँ दिन तकेने छलीह ।आठ मास बाद दिन बनल छलै ।ओना तँ बीच्चोमे दिन छलै, मुदा ग्रह-नक्षत्रक योग ओतेक नीक नै छलै ।सपना कोनो बेसी धड़फड़ाएल नै छलीह ।ओनाहितो सपना ग्रह-गोचरमे बेसी विश्वास रखैत छलीह ।समाजक बदलल स्थिति देख बड बेसी साकांक्ष रहैत छलीह ।इएह सब कारणसँ अझुके दिन बनाएल गेलै ।लगनक उत्तम योग छै आइ ।आइ घरमे लक्ष्मीक प्रवेश भऽ रहल छलै ।घरकेँ भविष्यक लेल मलकाइन भेंट रहल छलै ।आइ घरमे नव कनियाँ आबि रहल छथि ।हुनके स्वागतक तैयारीमे सपना व्यस्त छथि


सुख्खल मुँहपर अभरि रहल आनंदक अंशुकेँ स्पष्ट रूपसँ देखल जा सकैत अछि ।मोनक अथाह सागरमे खुशीक लहरि तीस वर्ष पहिने उठल छलै जखन सपना एहि घरमे आएल छलीह ।अपन नैहरक सुख-दुकेँ छोड़ि सासुरमे आएबाक खुशिये एहने होइत छै ।नव जगहपर आबि अपन देख-रेखमे काज करेनाइ आ अपन अराध्य पति परमेश्वरक संग
जीवन कटनाइ ककरा नै नीक लगैत छै !सपनाक सासु नै रहथि ।पति भैयारीमे एसगरे रहथि, मने दियाद-वादक कोनो झंझटे नै रहै ।सासुर आबिते घरक सबटा काज अपना माँथपर उठा लेने छलीह ।ककरो रोक-टोक नै छलै ।अपन मरजीसँ घरक संचालन करैत छलीह ।पतिक समर्थन पाबि दुनू प्राणीक जिनगी विहुँसैत रहल  दुरागमनक छअ साल बाद संजयक जन्म भेल छलै ।घरमे तँ होली आ दिवाली दुनू एक संग मनाएल गेलै ।सब खुश छल, मुदा एहि खुशीक बोरिया-बिस्तर दुखान्तक संग बन्हेलै ।संजयक जन्मक एकै मास बाद पतिक मृत्यु भऽ गेलै ।सपनापर विपतिक पहाड़ टूटि पड़लै ।एक मासक चिलकौरकेँ छातीसँ साटने श्रद्ध-कर्म करेलनि ।खेत-पथार,
घर-बाहर, सर-कुटुम सब टा काज सपनेक हिस्सामे आबि गेल छलै ।नम्हर घर-दुआरिमे एसगर भूत जकाँ बैसल-बैसल नीको नै लगैत छलै ।मोन बहटारैक लेल कोनो ने कोनो काजमे अपनाकेँ व्यस्त रखने रहै छलथि ।

संजय छअ सालक भऽ गेल छलै ।इस्कूलमे नाम लिखा गेल छलै ।भोरे संजयकेँ तैयारकऽ इस्कूल पठाबथि ।एते दिन धरि बौआक संग हँसैत-बतियाइत दिन काटि लै छलथि,
मुदि आब भरि दिन मुँह सीने रहऽ पड़ै छलनि ।बतियेबो करितथि तँ ककरासँ ?देबालोकेँ कान तँ होइ छै, मुदा मुँह तँ नै होइ छै ।चारू कात तँ देबाले-देबाल छलै, मोनक बात बताएल जाए तँ ककरा ? आब संजयकेँ इस्कूल


पठेलाक बाद रमायण, गीत वा महाभारतक पाठ करऽ लागलनि ।एहि बीचमे अयोध्याक
महात्मासँ दीक्षा लऽ लेने रहथि ।भगवानक धियानमे मोन रमेने रहथि आ सदिखन
संजय लेल नीक लूरि-बूधिक कामना करैत रहथि ।

संजय रहबो करय बड मेधावी ।नेनहिँसँ जे किछु पढ़ि लै से इयादिये भऽ जाइ
।राज्य स्तर धरि कतेको बेर पुरस्कृत भऽ चुकल रहय ।सपनाक पूजा-पाठ काज कऽ
गेलै ।संजय डाक्टर बनि गेल छल ।बजारमे क्लिनिक छलै आ प्रैक्टिसो खूब चलै
छलै ।समाजमे सपनाक इज्जत बढ़ि गेल छलै, मुदा सपनाक एकान्त वास कम नै भेल
छलै ।सपना एखनो एसगरे रहैत छलीह ।शहर चलबाक लेल कतेको बेर आग्रह केने रहै
संजय, मुदा सपनाकेँ घर-घरारीक मोह धेने रहै ।गाम छोड़ि देलाक बाद एतुका
काज के करतै ?बाप-बाबाक बनाएल ढेरी उनटि जेतै ।जाहि गाममे जीवनक तीन भाग
बीत गेलै तकरा कोना छोड़ि देब ? नाना प्रकारक बात मोनमे आबि गेल छलै आ
सपना गामेमे रहि गेलीह ।

एक साल पहिने पढ़ल-लिखल लड़कीसँ संजयक वियाह भेल छलै ।सोझे वरखे आइ दुरागमन
भऽ रहल छै ।चारि दिनसँ व्यस्त दिनचर्यासँ थाकल देहपर आनंदक आवरण चढ़ेने
छलीह सपना, मुदा मोने-मोन टीस उठि रहल छलै ।अपने कहियो सासुकेँ नै देखलनि
।पुतौह संग सासुक वेवहार केहन होइ छै से नै जानलनि ।आजुक नव कनियाँक
कारनामा सुनि कऽ सदिखन डर लागल रहै छनि ।कहीं आबिते झगड़ा हुअ लागलै तँ
?कोनो कोनो पुतौह तँ सासुपर हाथो उठा दै छथि ।कहीं हमरो संग एहने भेलै तँ
? पुतौहकेँ एबाक खुशीक संग संग कलयुगी जमाना देख भीतरे-भीतरे डेराएलो
छलीह सपना ।




दुरागमन भऽ गेल छै ।टोल भरिक आँगनमे कनियाँक रूपक चर्चा भऽ रहल छै
।टोल-पड़ोसक लोक कनियाँसँ भेंट करबाक लेल आबि रहल छथि, मुदा सपना पुतौहसँ
कटल-कटल रहै छथि ।सपनाक ई वेवहार संजय नै बूझि सकल, मुदा कनियाँ बूझि
गेलीह ।एक दिन झलफल बेर कऽ सपना बैसल नचारी गाबि रहल छलीह ।तखने पुतौह
लऽगमे आबि कऽ ठाढ़ भऽ गेलनि ।सपनाक दुनू पएर छानि पुतौह कानैत कहऽ लागलनि,
"माँ जी, हमर कोन कसूर अछि जे अहाँ हमरा नै अपनेलहुँ ?"
"अहाँ अपनाकेँ हमरासँ अलग किए बूझैत छी ।अहाँ एहि घरक सदस्य छी ।" सपना
बात नुकेलनि ।
"तखन हमरा किए ने माए बला सिनेह दै छीयै ?की बात छै माँ जी ?हमरासँ दूरी
किए बनेने रहै छी ?"
सपना सोचऽ लगलीह जे आब की कएल जाए ? किछु देर चुप रहलीह आ फेर मोनक बात
पुतौह लऽग राखि देलीह, " कनियाँ, हम आजुक जमानाक रंग देख दंग छी
।आइ-काल्हि सासु-पुतौहमे बड झगड़ा होइ छै ।हम अहाँसँ दूरी बनेने रहलौं
ताकि अहाँक सम्पर्कमे नै आबी ।अहाँसँ दूर रहब तँ अहाँ संग झगड़ो तँ नै ने
भऽ सकत ? तेँ हम अहाँसँ दूर रहै छी ।"
सासुक मुँहसँ सच्चाइ सुनि पुतौह अवाक् रहि गेल छलीह ।सपनाक पएर और जोरसँ
पकड़ैत बाजलीह, "माँ जी, ई सब बात मोनसँ निकालि दियौ ।अहाँ हमर पतिक माए
छी ।जँ पति परमेश्वर छथि तँ अहाँ हुनक जननी छी ।तखन तँ माएक स्थान
परमेश्वरोसँ बढ़ि कऽ भेलै ने ?जँ अहाँ नै रहितौं तँ हमर पतियो नै रहितय आ
जँ हमर पति नै रहितय तँ हमहूँ नहियें टा रहितौं ।. . .माँ जी, अहींमे तँ
हमरो अस्तित्व नुकाएल अछि ।. . .हमर मुँह देखाइ एखन धरि बाँकिए अछि ।मुँह
देखाइमे हमरा अपन चरण दऽ दिअ ।हमरा अपन बेटी बना लिअ . . ."
सपना अपन पएरपर पुतौहक आँखिसँ खसल नोरक गरमी अनुभव केने छलीह ।पुतौहक नरम
मोन आ विनम्रता देख सपनोक मोन पिघलि गेलै ।मोनमे पैसल सबटा डर दूर भऽ गेल
छलै ।सबटा शंकाक समाधान भऽ गेल छलै ।झलफल बेर टरि गेल छलै आ चारू कात
अन्हिया पसरऽ लागल छलै, मुदा सपनाक मोनमे इजोरिया पसरि गेल छलै ।

आब पुतौह सासुक पएर जाँति रहल छथि आ पुतौहकेँ गृहस्थीक उतार-चढ़ाब,
लूरि-बूधि सिखेबामे सपना व्यस्त छथि ।

अमित मिश्र
करियन, समस्तीपुर
मो॰- 09122105183
***

हमर पूरा पता अछि-

अमित कुमार मिश्र
ग्राम+पो॰- करियन
भाया- इलमासनगर
जिला- समस्तीपुर
राज्य- बिहार
पिन- 848117










3 टिप्‍पणियां: