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मंगलवार, 17 अप्रैल 2018

गजल

खाली हुनक बाते छलै फूल सन
बाँकी बचल सबटा छलै शूल सन

खंजर बनल नैनक कमल कोर छल
ठोरक त' लाली आगि जड़ मूल सन

बदलल किए सब आइ से  जानि नै
छल नेह काँटक पैघ टा कूल सन

छै आब सपना देखब व्यर्थ सन
भेलै कहाँ ओ हमर अनुकूल सन

जाएब हम पागल भ' कहलौँ सते
छै "अमित" सब किछु भेल निर्मूल सन

2212-2212-212

    अमित मिश्र

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