मिथिला वर्णन गीत
साँझ पराती जतऽ सुन्दर तान, ओहि मिथिला के अछि हमर प्रणाम
जाहि ठाँ सल्हेस राज भेलैये, विद्यापति के गाम यौ
साँझ पराती.......
आमक गाछपर झुल्ला जाहि ठाँ, नेना भुटका झूलै छै
ठुमकि ठुमकि कऽ सिया बहिनियाँ, आंगने आंगने बूलै छै
जाहि ठाँ ललायित भेल छथि राम, ओहि मिथिला...................
उदयन धर्मक धुजा उठेने, सगरो लाज बचाबै छै
जाहि ठाँ विदुषी भारती सन के, बेटी-पुतौह बनि आबै छै
जाहि ठाँ के चाकर शिव भगवान, ओहि मिथिला के............
सब मिल* जतऽ गीत सुनाबय, छन्द अमितक भावै छै
विद्यापति केर अरजल मैथिली, किर्ति धुजा फहराबै छै
जाहि ठाँ छै अनुपम माँछ आ मखान, ओहि मिथिला के ...........
अमित मिश्र
*गायकक नाम देल जाएत
एकरा गयबाक लेल संपर्क करू ।बिना अनुमतिक एकर प्रकाशन वर्जित अछि ।
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