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रविवार, 14 दिसंबर 2014

मेहनत केर फल



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 बाल कविता-143
मेहनत केर फल

उठू आब किछु  करू कर्म
कर्मे   टा  मानव   केर धर्म
पहाड़क   माँथ तोड़ि दिअ
पाथर पाथरकेँ फोड़ि दिअ
एक   मूठ्ठीमे  विश्व  धरू
विश्वासक सीढ़ी सदा चढू
ओकरे आगू सब झूकैत अछि
जे सदिखन मेहनत करैत अछि
दुश्मनो ओकरे मीत होइत अछि
मेहनत केर फल मीठ होइत अछि

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