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शुक्रवार, 19 जनवरी 2018

रौद निपत्ता

अझूका रचना- बाल कविता
287. रौद निपत्ता

जाड़ एलै आ रौद निपत्ता
पहिरू मोटगर कपड़ा लत्ता
गोइठा नेरहा कुन्नी चेरा
नै त' जरबू आमक पत्ता

सीरक त'रमे पड़ल रहू
जाड़ ल'ग नै अड़ल रहू
नै त' पैसत लाख बेमारी
काज ने देत कोनो बुधियारी
एखन सगरो शीतक सत्ता

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