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मंगलवार, 28 मई 2013

जुनि चढ़ कदम्ब केर ठाढ़ि

बाल कविता-65
जुनि चढ़ कदम्ब केर ठाढ़ि

बरसै नैना धड़कै छाती अगबे ममता ढारि
रे कान्हा, जुनि चढ़ कदम्ब केर ठाढ़ि

पातर ठाढ़ि बड लच-लच लचकै
घौनगर पातमे किछु नै झलकै
डाँरकडोरि फँसतौ कपड़ो फाटतौ
चर्र-चर्र कड़-कड़ सूनि मोन हहरौ
दहाड़ैत एलै पुरिबा पवनक बाढ़ि
रे कान्हा, जुनि चढ़ कदम्ब केर ठाढ़ि

जुनि छेड़ मधुर बँसुरिया केर धुन
गोपी-ग्वाल एतौ झुण्डक झुण्ड, सुन
सब लुधकत सबटा ठाढ़ि-पातपर
बढ़तै बड ओजन गाछक गातपर
टूटि खसतै लऽ तोरो सबटा ठाढ़ि
रे कान्हा, जुनि चढ़ कदम्ब केर ठाढ़ि

उतर, देबौ तौला माखन-मिश्री
उख्खरि नै बान्हबौ, नै कोनो फँसरी
नै उतरबें तँ सत्ते रूसबौ हमहूँ
बाबा, ताऊ, आ ने बतियेबौ हमहूँ
समेबौ यमुना केर छाती फारि
रे कान्हा, जुनि चढ़ कदम्ब केर ठाढ़ि

अमित मिश्र

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