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बुधवार, 1 मई 2013

पी लेब सबटा दूध

बाल कविता-36
पी लेब सबटा दूध

भोरे -भोर मोर बुधनी बछिया
पी जाइ छै थनसँ सबटा दूध
पीयाइयो दै छै रसनी गैया
बचाइयो नै राखै पौआ दूध
भरि दिन भूखल हम आ भैया
नीक लागै नै पन्नी बला दूध
हमहूँ बड बुधियार बौआ
भोरे उठि पी लेब सबटा दूध
जखन धरि उठतै बुधनी बछिया
तखन धरि नै बचतै पौआ दूध

अमित मिश्र

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