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बुधवार, 8 मई 2013

सूरजपर पंचैती



बाल कविता-47
सूरजपर पंचैती





जँ हम उड़न चिड़ैयाँ रहितौं
उड़ि जैतौं सूरज केर गाम
जा ओकरा किछु सबक सिखबितौं
पंचैती करितौं ठामे-ठाम

नीन खुजिते किए आगि बरसाबै ?
बहबै पंखा, कूलरकें घाम
ठण्ढ़ीमे किए नुका भागै छै?
भऽ जाइ छै दुनू नाक जाम

बड बदमाश ई बनल जाइ छै
माए नै दबारै तकर परिणाम
आबिते चन्नाकें खेहारि भगाबै
करै खानदानक नाम बदलाम

इस्कूल नै कहियो गेल हेतै
तें बुड़बक बनि टहलै गाम
देवी जीक थापड़ नै पड़ल हेतै
तें काज गलत करै सब ठाम

अमित मिश्र

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