बाल कविता-67
भोजनक जोगार
यौ बाबू जी कनिये सूनि लिअ
सए दू सए टाका दऽ दिअ
टाका लऽ जेबै हम दोकान
चोकलेट बिस्कुट कीन समान
अहाँ लेल चनाचूर लेने
घर एबै किछु पाइ बचेने
दुनू गोटा बैस भोजन करब
हम बिस्कुट अहाँ भूजा फाँकब
चनाचूर जँ करूगर हएत
खा लेब चोकलेट जलन मेटाएत
जा धरि माए नानीघर रहतै
ता धरि एहिना भोजन चलतै
एहिना हेतै भोजनक जोगार
कीन कीन आनब भरि पेटार
तेँ जल्दीसँ पाइ निकालू
नै तँ जल्दी होटल चलू
अमित मिश्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें