प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

शनिवार, 22 जून 2013

अभिलाषा

बाल कविता-74
अभिलाषा

अकरी-बकरी हम नै करबौ
अचरी-कचरी नहिये तरबौ
गोबर लऽ चूल्हा नै निपबौ
बिछ-बिछ जारन नै आनबौ
हम उड़ैबाली कल्पना बनबौ
चान-तरेगणक यात्रा करबौ
हम बनि लता सगरो चतरबौ
अपन गमकसँ जग गमकेबौ
वा बड़का नेता हम बनबौ
विकास करबौ खूब सेवा करबौ
सदिखन नै घरक काजे टा करबौ
छोट-मोट टहल-टिकोरा करबौ
बुधियार धीया तोहर हम बनबौ
तोरो सबटा सऽख पूरेबौ
एतबे अभिलाषा जे पूरा करबौ
चान-तरेगण बनि कऽ चमकबौ

अमित मिश्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें