बाल कविता-74
अभिलाषा
अकरी-बकरी हम नै करबौ
अचरी-कचरी नहिये तरबौ
गोबर लऽ चूल्हा नै निपबौ
बिछ-बिछ जारन नै आनबौ
हम उड़ैबाली कल्पना बनबौ
चान-तरेगणक यात्रा करबौ
हम बनि लता सगरो चतरबौ
अपन गमकसँ जग गमकेबौ
वा बड़का नेता हम बनबौ
विकास करबौ खूब सेवा करबौ
सदिखन नै घरक काजे टा करबौ
छोट-मोट टहल-टिकोरा करबौ
बुधियार धीया तोहर हम बनबौ
तोरो सबटा सऽख पूरेबौ
एतबे अभिलाषा जे पूरा करबौ
चान-तरेगण बनि कऽ चमकबौ
अमित मिश्र
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