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बुधवार, 19 जून 2013

ज्ञानक बात

बाल कविता-72
ज्ञानक बात

केला खाउ मुदा सम्हरि कऽ आगू खोँइचा फेकू नै
आगू बढ़नाइ नीक मुदा सदिखन उप्पर देखू नै
शान्त साँप तँ किछु नै करत अनेरे काठी भोंकू नै
तामस सदिखन खतरनाक अछि तेँ तामस लोकू नै
माए-बाप देव तुल्य छथि हुनकर कहल टारू नै
उमरिमे जे पैघ छथि हुनका प्रणाम करनाइ छोड़ू नै
जतबे भूख ओतबे भोजन झूट्ठे पेट फूलाबू नै
थारीमे जे रोटी-तीमन तकरा अहाँ छुताबू नै
सहपाठी सब भाइ-भाइ छथि नै लड़ू लड़बाबू नै
पोथी पक्का मीत यौ बौआ खेलैत समय बिताबू नै
गुरूजन केर अहाँ आदर करू गन्दा बात बाजू नै
साफ-सफैया सब ठाँ राखू जँहि-तँहि कूड़ा खसाबू नै
जे नीक लागय से माँगू अहाँ बिनु पुछने किछु चोराबू नै
ज्ञानक छै ई बात यौ बौआ बिनु पढ़ने पन्ना उनटाबू नै

अमित मिश्र

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