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रविवार, 9 जून 2013

मुट्ठीमे

73. मुट्ठीमे

- देखू तँ ई मौगीआकेँ ।लाज-शरम घोरि कऽ पी गेल अछि ।दस बजे नीन टूटैत छन्हि ।किओ खेनाइ रान्हि दै बस. . .पलथा मारि भरि थारी घटोसि लेताह आ पलंगपर मलरि जेताह ।
- यै बुढ़िया ।एना हमरा अँखियेबेँ तँ आँखि निकालि लेबौ ।तोरा पुतौहुक कुबड़ाइ करैमे लाजै नै लागै छौ तखन हमरा किए लाज लागतै ।
- तोरासँ तँ मुँहे लगेनाइ बेकार छै ।आबऽ दहीं छौड़ाकेँ सब बात कहबै ।जखन साँएसँ डेंगौना लागतौ तखने होशमे एबें ।
- जो ने बुढ़िया कहि दहीं ने बेटाकेँ ।ओ तँ हमरे मुट्ठीमे छै ।ओ हमरा की बिगाड़ि लेतै ।एक बेर इशारा करबै बस, उनटे तोरे पिटपिटा देतौ तोहर बेटा, हमर साँए ।

अमित मिश्र

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