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मंगलवार, 4 जून 2013

कुकुरक नाँगरि

विहनि कथा-47
कुकुरक नाँगरि

एक बेर जंगलमे शेरक राजसँ पशु-पक्षी परेशान भऽ गेल ।लड़ि-झगड़ि कऽ फेरसँ चुनाव करेबाक विचार पास करबेलक ।पुन: शेरक सरकार नै बनै ताहि लेल सबटा सीट आरक्षित कऽ देलक ।सबकेँ भरोस छलै जे आब शेर ठाढ़ नै हएत ।खबरि सूनि शेर अपन दिमाग दौड़ेलक आ एकर काट निकाललक ।ओ एकटा कुकुरकेँ टीकट दियेलक ।कुकुर चुनाव जीत गेलै ।जनता खुश छल , मुदा किछु दिन बाद अत्याचार बढ़ि गेलै।शेरक राजसँ खराप स्थिती भऽ गेलै ।जनताकेँ बुझा गेलै जे राजनीति कुकुरक नाँगरि सन छै जे कखनो सीधा नै होइ छै ।

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