प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

शनिवार, 12 नवंबर 2016

मम्मी जैसी दोस्त न कोई

*मम्मी जैसी दोस्त न कोई*

मेरी मम्मी प्यारी मम्मी
मुझको करती प्यार बहुत
लोरी-वोरी खूब सुनाती
करती मुझे दुलार बहुत

देती दूध मिला के केसर
पिस्ता बदाम और काजू भी
देख के नास्ता सब ललचाते
चुन्नी मुन्नी और राजू भी
कपड़े नये दिलाती मुझको
आते जब त्योहार बहुत
अपने पैरों पर बैठा कर
झूला मुझे झुलाती है

सुवह-शाम टीचर बन कर
सबकुछ मुझे पढ़ाती है
गलती होने पर भी मुझको
देती नहीं फटकार बहुत
कार्टुन-तार्टुन मुझे दिखाती
लॉलीपॉप दिलाती है
सुवह को जॉगिंग शाम वॉकिंग
अपने साथ कराती है
माँ के जैसी दोस्त न कोई
देखे हैं मैने यार बहुत

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें