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रविवार, 14 जुलाई 2013

चलै चलू दिल्ली

बाल कविता-84
चलै चलू दिल्ली

खा कऽ पान खिल्ली
चलै चलू दिल्ली
दिल्लीमे मोटर
ए॰सी॰, फ्रीज, हीटर
मोटरमे बानर
सेहो छै आन्हर
बानर गेलै सर्कस
पीठपर तरकस
हाथमे छै तीर
जय हनुमत वीर
तीर तोड़लक टिला
ओतै लाल किला
चाउरमे छै कंकर
ओतै जंतर-मंतर
नै बाध चऽर
पैघ-पैघ घर
घरमे मुनेसर
बड पैघ थेथर
पढ़लक नै लिखलक
काज नै सिखलक
लोक उड़बए खिल्ली
चलै चलू दिल्ली

अमित मिश्र

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