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गुरुवार, 1 अगस्त 2013

इजोरिया

129. इजोरिया

मौलाएल कमल सन मुँह बनेने राजू चुमाउन लेल बैसल ।पएरकेँ घिसियाबैत भारी मोनसँ वियाह करबाक लेल चलल ।ओतऽ लटकल मुँह देख हास-परिहासक कारण बनल ।असलमे ओ ई वियाहसँ खुश नै छल ।कारण जे लड़कीक रंग श्यामला छलै ।राजू दूध सन गोर दप-दप करैत कनियाँ चाहैत छल जकरा घोघ उठाबिते अन्हारमे इजोरिया चमकि उठै ।समाजक एहन दखल पड़लै जे ओकर सबटा सपना टूटि गेलै ।कोहबरमे राजूक लटकल मुँह देख नव कनियाँ बजलीह "अहाक उदासीक कारण हमरा बूझल अछि ।एकटा बात कहू, लोक रंगसँ प्रेम करैत अछि वा लोकसँ ?हम कारी छी मुदा अहाँक छी ।आब चामक रंग तँ ककरो वशक गप नै छै ।हमरा अहाँक रंग, धन आ जातिसँ कोनो मतलब नै अछि ।हम सदिखन अहाँसँ प्रेम करब मुदा अहाँक प्रेमक बीच नै आएब ।हम अहाँक खुशीसँ प्रेम करैत छी तेँ अहाँ सदिखन खुश रहू, मुस्कैत रहू ।हम शिष्ट रहब तेँ अहूँ शिष्टाचारमे रहब, एते आशा अछि ।"
कनियाँक मीठ, ज्ञान आ चातुर्य भरल बात सूनि राजूकेँ लागलै जे कोहबरमे पाड़ल बाँसक दोगसँ इजोरिया छिटकि रहल छै ।

अमित मिश्र

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