155. खैरातमे खून
"हौ सुनलो...कल्याण भऽ गेलऽ सब गोटाकेँ ...जकर-जकर माल-जाल, घर-दुआरि भासि गेलै ओकरा सरकार 5 लाख टाका खैरातमे देतै...ओतेमे तँ हमर भागे सुधरि जेतै ।" राघो काका रोडियो हाथमे मचानसँ चिचिया रहल छलथि मुदा बाढ़िक पानिक गर्जन हुनक सुखाएल कण्डसँ निककल स्वरक मर्दन कऽ रहल छल ।बाढ़ि गेलै ।लोक सरकारी दफ्तरक चक्कर लगाबऽ लागल ।राघो काकाक पूरा परिवार भासि गेल छलै ।बेचारे एसगरे जिलामे जाथि ।सब ठाम अश्वासन तँ झोरा भरि-भरि भेटै मुदा टाकाक दरश नै भेटै ।राघो काका दफ्तरक आगू जमि गेलथि ।कोनो अफसर देखबो नै केलकै ।रसे-रसे कमजोरी बढ़ैत गेलै ।एक राति हुनक हिम्मत टूटि गेलै आ ओ अपन परिवारक लऽग चलि गेलथि ।भोरमे लोक देखलकै जे हुनक लहाशक चारू कात चारि-पाँच टा कुकुर टहलि रहल छल ।
अमित मिश्र
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