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रविवार, 27 अप्रैल 2014

गर्दा

179.गर्दा

कटनी-खोटनीक समय रहै ।गहूँमक दौनी धुड़झाड़ भऽ रहल छलै ।तहिना गर्मीयो धुड़झाड़ बढ़ल जाइ छलै ।एहनेमे रामचरणक बेटा पाप्पू साल भरि बाद कमा-धमा कऽ दिल्लीसँ आबि गेलै ।रामचरण एसगरे छलै ।कनियाँ तँ कहिया ने संग छोड़ि देने रहथि ।रामचरण गहूँमक दौनीमे लागल छलै ।कोनो बच्चा बाधमे जा कऽ पप्पूक आबैक समाचार दऽ देलकै ।पुत्र-दर्शन हेतु रामचरण दौड़ले गामपर आबि गेल ।घामक कारणे भुस्सा देहसँ ओहिना सटल छलै ।बेटाकेँ देख मोन गदगद भऽ गेलै ।खुशीसँ बाजि उठल "नीक केलऽ बौआ जे आबि गेलऽ ।आब तूँहूँ संग रहबऽ तँ ससमय फसल घरमे आबि जाएत ।" बेटा किछु नै बाजलै ।नम्हर साँस छोड़ैत रामचरण घामकेँ सुखेबाक लेल गमछा हौंकऽ लागल ।गमछासँ सटल गर्दा चारू दिस पसरि कऽ पप्पूक जींसपर लागि गेलै ।रामचरण धरतीपर बैसैत बाजल "बौआ हम सब माँटिक आदमी छी ।खा पी लए ।तकर बाद भुस्सा उघैक छै ।" पप्पूक मुँहपर कोनो भाव नै एलै, मुदा मुँह घोघैच गेलै ।बिनु कोनो जबाब देने जींसपर परल गर्दा झाड़ऽ लागल ।

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