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सोमवार, 22 जून 2015

वर्णमाला : घ

बाल कविता(गीत)-186
वर्णमाला : घ


'घ'सँ घड़ी बाबू 'घ'सँ घड़ी
सबकेँ केने छै लिरी-बिरी

एकरे पाछू दौड़ रहल छै
अफसर, डाॅक्टर आ दरबान
बड अनमोल समय छै बाबू
एकरासँ के छै अनजान
एक्के ताले सबकेँ नचबय
जेना करैए जादुगरी
'घ'सँ घड़ी बाबू 'घ'सँ घड़ी

समयसँ इस्कूल, ट्रेन, गराज
समयसँ उड़ै हवा जहाज
समयसँ सूरज चान तरेगण
करै छै सुइया बढ़ैक काज
घुरि कऽ पाछू ताकै नै छै
बड जिद्दी छै लालपरी
'घ'सँ घड़ी बाबू 'घ'सँ घड़ी

संग समयके जे चलै छै
तकरे जगमे नाम महान
मुट्ठीमे जे घड़ीकेँ रखय
तकरे जगमे होइ सम्मान
सबटा काज समयपर करब
कीन लिअ आइ एगो घड़ी
'घ'सँ घड़ी बाबू 'घ'सँ घड़ी



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