बाल कविता-173 वर्णमाला : ऊ
'ऊ' ऊँट लम्बा-तगड़ा छै पीठपर नम्हर कुबड़ा बालुक बीच चलै छै खूब भरिगर बोझ उघै छै खूब मरूस्थलक जहाज कहाबय चलिते रहय, पानि ने पीबय दूध, माँउस ई दैये बेसी सबसँ सुन्दर लागय देसी
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