वाल कविता-172 वर्णमाला : उ
'उ'सँ उल्लू राति कऽ आबय जोरसँ बाजय खूब डेराबय छोट छोट सन एकर चोंच ठाढ़िक नै लागै छै खोंच मारय मूसा खाइये माँउस अन्हारोमे ई देखय सौँस लक्ष्मी जीक इएह सवारी माँथ भरल छै बड बुधियारी
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