प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

रविवार, 2 जुलाई 2017

मैथिली लघुकथा - पहुँनाइ

210.
पहुँनाइ

छप्पनो भोग बना क' परसि देलाक बाद सरहोजि पुछलनि- एँ यौ मिसर सासुरमे नीक लागैत अछि ने ?
एहि प्रश्नक दोसर कोनो उत्तर त' देले नै जा सकै छल तेँ हम कहलौं जे, हँ हमरा नीक लागैत अछि ।
फेर सरहोजि कहलनि-घरपर माए एते व्यंजन बना क' त' नहिये दैत हेताह ?
हम कहलियनि जे नै, उहो बनबैत अछि मुदा जते खेबै ततबे ने ?ओहुना अहाँ जकाँ बनब' एतै तखन ने?
सरहोजि प्रसन्न भ' मुस्कान पसारि देलनि ।
हम मोने मोन कहलौं जे जँ घरोपर छप्पन भोग होइ त' लोक पहुनाइ किए करत !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें