211. मजबूरीमे
घरमे वियाहक माहोल छल ।शहनाईक रेकॉर्डेड धुन बाजि रहल छल ।जिम्हरे देखू तिम्हरे हँसी-ठहक्काक स्वर उत्पन्न भ' रहल छल ।रेशमा स्थिर मुर्ती जकाँ मेंहदीक विध पूरा करबा रहल छली ।सखी सब ओकरा चारू कातसँ मधुमाँछीक छत्ता जकाँ घेरने छल ।चारि टा एक्सपर्ट हुनरबाज सखी ओकर दुनू हाथमे मेंहदीक डिजाइन बनाबैमे व्यस्त छल ।तखने एकटा सखि चौल करैत पुछलकै-"एँ गै पहुनक नाममे की लिखियौ जानू, डार्लिंग या स्वीटीपाइ ?"
"किछु नै ।पूरा नाम लिख दहीं अर्णव" रेशमा उदासे स्वरमे कहलकै ।
"मुदा तोहर मिस्टरक नाम त' आलोक छौ ने !"सखि आश्चर्यसँ आँखि पैघ करैत पुछलक ।
"हँ मुदा प्रेम त' हम अर्णवसँ केलियै ।मजबूरी आ दबावमे ई वियाह क' लेबै तकर मने ई त नै छै जे हमर मिस्टर राइटक नाम चेन्ज भ' जेतै ।"
रेशमाक जबाब सुनि सखि सबकेँ किछु नै फुरा रहल छलै जे मजबूरीमे लेल एतेक पैघ फैसलाक परिणाम कतेक दिन धरि मर्यादाक पालन क' सकतै !दाम्पत्य जीवनमे ई कतेक दिन धरि अमृत घोरबाक काज करैत रहतै !
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