अझुका रचना- बाल कविता
285. मम्मी-पप्पामे कट्टी भेल
कट्टी भेल कट्टी भेल
मम्मी-पाप्पामे कट्टी भेल
पाप्पा घरपर देरसँ एलनि
मम्मी तैपर तामस केलनि
एतबे बात बहुत बढ़ि गेल
मम्मी-पप्पामे कट्टी भेल
मम्मी केलनि कीचेन बंद
पापा जी नै भेलनि मंद
नस्ता-पानी आफत भेल
मम्मी-पप्पामे कट्टी भेल
एक-दोसरकेँ खूब सुनेलनि
लागय जेना दुश्मन भेलनि
हमर स्कूल से छुटि गेल
मम्मी-पप्पामे कट्टी भेल
अंतमे मम्मी घरमे जा क'
सूतल अपन मुँह नुका क'
तखन झगड़ा खतम भेल
मम्मी-पप्पामे कट्टी भेल
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