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बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

तोरा पोसलियौ

अझुका रचना - बाल कविता
        * 300. तोरा पोसलियौ *

आइ तीन सौ बाल कविता पूरा भेल ।चारि पोथीक ई सामग्री अहाँ सभकेँ समर्पित केलहुँ ।अहाँ सभ एकरा पढ़ि अपन सुझाव द' हमरा उत्साहित करैत रहलौं ताहि लेल हम हृदयसँ आभारी छी ।अहाँक कॉमेन्ट देख लागैत अछि जे हमर मेहनत बेकार नै जा रहल अछि ।एतबे निहोला जे हमर बाल मनपर अपन स्नेह बनेने रहब ।काल्हिसँ किछु नव प्रयोग संग फेर उपस्थित हएब ।पुनः धन्यवाद ।
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तेल लगेलियौ मालिस केलियौ
देह जाँतलियौ तोरा हम
पौडर देलियौ काजर केलियौ
भरि दिन लेलियौ कोरा हम

भात बनेलियौ दूध आनलियौ
सानि खुएलियौ तोरा हम
अंगा देलियौ गंजी देलियौ
फेर उठेलियौ कोरा हम

आंगुर धेलियौ फेर घुमेलियौ
खूब झुलेलियौ तोरा हम
दूध पियेलियौ गीत सुनेलियौ
ठोकि सुतेलियौ कोरा हम

भीर उठेलियौ हम कानलियौ
मुदा हँसेलियौ तोरा हम
दुख उठेलियौ खूब जगलियौ
तखन पोसलियौ तोरा हम

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