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मंगलवार, 13 फ़रवरी 2018

धन्यवाद हे जगत रचैया

अझुका रचना- बाल कविता
296.धन्यवाद हे जगत रचैया

जखन देखै छी चान तरेगण
मेघ सूरूजमे चोरि नुकैया
जखन देखै छी शीतल शीतल
बाध-बोन बहैत पुरबैया
तखन करै छी धन्यवाद हम
अहाँकेँ हे जगत रचैया

जखन देखै छी एक भोरहरिया
चीं चीं करैत सोन चिड़ैयाँ
जखन देखै छी कलकल करैत
सागर नाँसी ताल तलैया
तखन करै छी धन्यवाद हम
अहाँकेँ हे जगत रचैया

जखन देखै छी गाछी-बिरछी
हरियर लत्ती काँट कटैया
जखन करय तितली आ भौंरा
फुलक मधुर पराग पेरैया
तखन करैछी धन्यवाद हम
अहाँकेँ हे जगत रचैया

जखन देखै छी परिवार हम
मम्मी पप्पा बहिन भैया
जखन देखै छी घरमे टहलैत
चुट्टी पिपरी मूस बिलैया
तखन करै छी धन्यवाद हम
अहाँकेँ हे जगत रचैया

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